ये आखें कितना कुछ कह जाती हैं,
बिन कहे ही कहानियां बयां कर जाती हैं ।
सपनो का , ख्वाहिशों का, और ,
प्यार भरे अफ़्सानो का चित्रण कर जाती हैं ।
खुली रह के बेबाक सपने दिखा जाती हैं ,
और मन को नयी जोश उमंगें भर जाती हैं ।
बंद हो करके भी ,
दूसरे जहां की सैर कर आती हैं ।
मुस्कुराती हैं तो चमक दिल थाम लेती है ,
गुनगुनाती हैं , तो कोयल भी शरमा जाती है ।
छलकती हैं ज़ब ज़ी भर के ये ,
तो अपने ही दिल पे हल्का मरहम सा लगा जाती हैं ।
लजाती हैं , तो क़यामत सी ढल जाती है ,
इतराती हैं तो मख़मली शरारत से भर जाती हैं ।
ज़ुल्मी ये सरेआम क़त्ल कर आती हैं ,
और हस के महफ़िल -ए -जान हो जाती हैं ।