मेरे भी कुछ सपने थे,
जो मेरी इन अखियों ने बुने थे,
मेरे माँ – बाबू की साँस थी मै ,
उनके ताउम्र परिश्रम का ताप थी मैं .
ज़िन्दगी जीने की हकदार थी मैं,
कुछ बनने की तमन्ना में ,
हर मुश्किल से जूझ कर ,
हर अश्क़ पीने को तैयार थी मैं .
ना मालूम किस जुर्म की सज़ा मिली मुझे ,
कि न्याय पाने को तरस गए मेरे प्राण ,
ना रही मेरी अस्मत मेरी ,
ना ही रहा ये जीवन मेरे पास .
जा रही हूँ इस दुनिया से ,
दिल में ये उम्मीद लिए ,
कि मिले हर औरत को जीने की आज़ादी और न्याय ,
और …. कभी भी ना जन्म ले – एक और निर्भया .
और …. कभी भी ना जन्म ले – एक और निर्भया .
on a dark eve of vice,
when we all lost our sight,
one torched herself,
and said "let there be light"….
Hi Manisha,
I have nominated you for 'Liebster award'. Its a gesture award for new bloggers. Details are present at my blog. 🙂
Nakul (flamesofthoughts.wordpress.com)
very nicely expressed !! very touchy !! na asmat na jeevan raha !! gr8 lines
Thank you very much mysay.in